
साइना नेहवाल, मिताली राज और कर्णम मल्लेश्वरी
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025: भारत में पुरातन काल से ही देवी दुर्गा, लक्ष्मी जी, मां सररस्वती की पूजा होती रही है और आज के बदलते युग में नारी ही शक्ति का केंद्र बिन्दु है, जिससे समाज चल रहा है। अब महिलाएं सिर्फ चौका-बर्तन तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं। चाहे वह राजनीति की चौसर हो, खेल का मैदान हो, विज्ञान हो या फिर कला। महिलाओं ने हर जगह अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाई है।
वैश्विक मंच पर चमकने वाली 5 भारतीय महिला प्लेयर्स
भारतीय महिला एथलीटों ने खेल की दुनिया में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई है। इन्हीं में से पांच प्रमुख खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और संघर्ष से न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर सफलता का परचम लहराया है। उनकी उपलब्धियाँ और रिकॉर्ड्स उन्हें खेलों की दुनिया में एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं।
पहला नाम है मैरी कॉम, जो बॉक्सिंग में अपनी असाधारण कौशल के लिए जानी जाती हैं। वे वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कई बार स्वर्ण का तमगा जीत चुकी हैं और ओलंपिक में भी उन्होंने भारत का नाम रोशन किया है। उनका संघर्ष और लगन न केवल युवाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह साबित करता है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का हक है।
दूसरे खिलाड़ी हैं पीवी सिंधु, जिन्होंने बैडमिंटन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अद्वितीय प्रदर्शन किया है। उनकी उपलब्धियाँ शामिल हैं ओलंपिक में पदक जीतना और विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त करना। सिंधु का समर्पण और कड़ी मेहनत ने उन्हें भारतीय खेलों के प्रतीक बना दिया है।
तीसरे स्थान पर दीपिका कुमारी हैं, जो तीरंदाजी में अद्वितीय प्रवृत्ति रखती हैं। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक जीते हैं, और उनकी सफलता ने भारतीय तीरंदाजी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है।
चौथे खिलाड़ी मिताली राज हैं, जिन्होंने महिला क्रिकेट के क्षेत्र में एक नई लहर शुरू की। उनके नेतृत्व में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने कई ऐतिहासिक जीत हासिल की हैं। मिताली ने केवल रिकॉर्ड को तोड़ा नहीं, बल्कि पदोन्नति की है और नई पीढ़ी को प्रेरित किया है।
आखिरी में हरमनप्रीत कौर का नाम आता है, जो टी-20 क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के लिए मशहूर हैं। उनकी क्रिकेट शैली और नेतृत्व कौशल ने भारत को कई महत्वपूर्ण जीत दिलाई हैं। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि अनुशासन और मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता।
ये पांच खिलाड़ी न केवल खेल की दुनिया में अपने नाम का परचम लहराते हैं, बल्कि वे आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनका योगदान और उपलब्धियाँ भारतीय खेलों की धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
खेल जगत में कई ऐसी महिला प्लेयर्स रही हैं, जिन्होंने युवा खिलाड़ियों को खेल से जोड़ा और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इनमें मिताली राज, पीटी उषा, मैरी कॉम, साइना नेहवाल, जैसी स्टार प्लेयर्स शामिल रही हैं। इन खिलाड़ियों ने देश और दुनिया में हर जगह अपनी सफलता का झंडा गाड़ा। अपनी प्रतिभा से इन महिला खिलाड़ियों ने दुनिया को हैरान होने पर मजबूर कर दिया। आज 8 मार्च को महिला इंटरनेशनल दिवस के दिन जानते हैं, इन प्लेयर्स की कहानी के बारे में।
1. मिताली राज
मिताली राज का जन्म 1982 में राजस्थान को जोधपुर में हुआ था। बचपन से ही उन्हें क्रिकेट से बहुत ही ज्यादा लगाव था। फिर साल 1999 में उन्होंने भारतीय टीम के लिए वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया और इसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने जल्द ही खुद को भारत की बल्लेबाजी की धुरी के रूप में स्थापित कर लिया। उनका फुटवर्क कमाल का था और दुनिया के किसी भी मैदान पर रन बनाने की बेजोड़ काबिलियत ने उन्हें महान प्लेयर्स की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। वह इकलौती भारतीय कप्तान हैं, जिन्होंने दो वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में टीम की कप्तानी की है।
उन्होंने महिला क्रिकेट को नई ऊचाइयों पर ले जाने में अहम भूमिका अदा की। उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 232 वनडे मैचों में 7805 रन बनाए, जिसमें उनके बल्ले से 7 शतक और 64 अर्धशतक निकले। इसके अलावा टी20 इंटरनेशनल में उन्होंने 2364 रन और 12 टेस्ट मैचों में कुल 699 रन बनाए थे। वह आज के दौर की सुपरस्टार हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना जैसी प्लेयर्स रोल मॉडल हैं।
2. साइना नेहवाल
आज बैडमिंटन में भारत के पास प्लेयर्स की पूरी फौज है। लेकिन जब हरियाणा के हिसार की रहने वाली साइना नेहवाल ने बैडमिंटन की दुनिया में कदम रखा, तो इस खेल में भारत महाशाक्ति नहीं था। बैडमिंटन में तब चीन का दबदबा था और उन्होंने चीन की दीवार को तोड़ा और बैडमिंटन के कोर्ट में चीनी प्लेयर्स को धूल चटानी शुरू की। उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में तो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास ही रच दिया।
वह बैडमिंटन में ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय प्लेयर बनीं। इसके अलावा बैडमिंटन रैंकिंग में उन्होंने पहला स्थान भी हासिल किया। उन्होंने बैडमिंटन में भारत में वह नींव डाली, जिस पर बाद में पीवी सिंधु ने महल खड़ा किया। नेहवाल ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी दो मेडल जीते। इसके अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स में उनके नाम पर तीन गोल्ड मेडल दर्ज हैं।
3. पीटी उषा
केरल के कोझिकोड में जन्मीं पीटी उषा ने उस समय ट्रैक एंड फील्ड में अपना नाम बनाया, जब लड़कियों को खेल के मैदान पर इतनी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। वह महान धावक रही हैं और आज वह करोड़ों लड़कियों को प्रेरित कर खेल के मैदान की तरफ मोड़ चुकी हैं। उन्होंने अपने करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की। लेकिन जिस एक चीज के लिए उन्हें सबसे ज्यादा याद किया जाता है, जो उन्होंने जीता ही नहीं है।
लॉस एंजिल्स 1984 ओलंपिक में वह 400 मीटर हर्डल रेस में वह चौथे स्थान पर रही थीं और सेकेंड के 100वें हिस्से से ब्रॉन्ज मेडल जीतने चूक गई थीं। भले ही वह मेडल नहीं जीत पाई हों, लेकिन यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। वह उड़न परी के नाम से फेमस रही हैं। अभी वह इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की चीफ हैं और राज्य सभा सदस्य भी हैं।
4. मैरी कॉम
मैरी कॉम ने बॉक्सिंग की रिंग में ऐसे पंच लगाए, जिससे उनके विरोधी उनके सामने चारों खाने चित हो गए। ओलंपिक रहा हो, वर्ल्ड चैंपियनशिप रही हो। हर बार वह विजेता बनकर उभरी। उन्होंने पूरी दुनिया में तिरंगा लहराया और अपनी काबिलियित के दम पर सफलता हासिल की। मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में वह नींव डाली, जिससे प्रेरित होकर लवलीना बोरगोहेन जैसी प्लेयर मुक्केबाजी में आईं। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में कुल 8 मेडल जीते। इसके अलावा एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में उनके नाम पर एक-एक पदक दर्ज है। उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 में ब्रॉन्ज मेडल जीता था और वह मुक्केबाजी में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला प्लेयर बनी थीं।
5. कर्णम मल्लेश्वरी
कर्णम मल्लेश्वरी ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला प्लेयर हैं। उन्होंने सिडनी ओलंपिक 2000 में वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उन्होंने ओलंपिक मेडल जीतकर भारत की तमाम महिलाओं के लिए खेलों में दरवाजे खोल दिए। आंध्र प्रदेश की रहने वाली मल्लेश्वरी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी दो गोल्ड मेडल जीते। बाद में खेलों में उनकी उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें खेल रत्न और पदम श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था।