पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब में गैंगस्टर संस्कृति पर अंकुश लगाने में अधिकारियों की विफलता के आसन्न खतरों के प्रति आगाह किया है तथा इसके खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने का आह्वान किया है।
न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ की पीठ ने कहा, “गैंगस्टर संस्कृति, विशेष रूप से जबरन वसूली रैकेट के रूप में, आज के समय में सामाजिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बन गई है, जो भय और अराजकता के माहौल को बढ़ावा दे रही है। हिंसा का महिमामंडन, आपराधिक व्यवहार को सामान्य बनाना और कमज़ोर युवाओं को गिरोहों में भर्ती करना न केवल अपराध को बढ़ावा देता है, बल्कि न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास को भी खत्म करता है।”
लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के कथित गैंगस्टर कपिल उर्फ निन्नी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां की गईं, जो दिसंबर 2019 में मलौट, मुक्तसर साहिब में हुई हत्या के मामले में आरोपी है। पुलिस ने दावा किया था कि वह बिश्नोई गिरोह का सक्रिय सदस्य था और कई राज्यों में फैले जबरन वसूली के रैकेट में सक्रिय रूप से शामिल था। अदालत को बताया गया कि वह एक आदतन अपराधी है और कई मामलों में बरी हो चुका है, क्योंकि कोई भी उसके और उसके गिरोह के सदस्यों के खिलाफ गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत रिकार्ड के अनुसार, उन पर नौ आपराधिक मामले चल रहे हैं, जिनमें से दो में उन्हें दोषी ठहराया गया है तथा चार मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया है।
अदालत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब हाई कोर्ट में सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2023 में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का एक निजी चैनल द्वारा साक्षात्कार प्रसारित किए जाने के बाद पंजाब में जबरन वसूली और धमकी भरे कॉल के मामलों में तेजी देखी गई। साक्षात्कार से पहले नौ महीनों में राज्य में जबरन वसूली और धमकी भरे कॉल के 300 मामले देखे गए। इसके बाद इसी अवधि में यह संख्या बढ़कर 324 हो गई, डीजीपी ने इस महीने की शुरुआत में हाई कोर्ट द्वारा साक्षात्कार पर आपत्ति जताते हुए शुरू की गई कार्यवाही में अदालत को बताया था।
इस मामले में, अदालत ने यह कहते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी कि अगर जमानत मंजूर की जाती है, तो उसके अपने अपराध और नापाक तरीकों पर वापस लौटने की प्रबल संभावना है। इसने यह भी निर्देश दिया कि गवाह या उसके परिवार के सदस्यों द्वारा धमकी विश्लेषण रिपोर्ट तैयार की जाए और उसके अनुसार कार्रवाई की जाए।
उनका चित्रण युवाओं को गुमराह कर रहा है: हाईकोर्ट
अदालत ने ‘लोकप्रिय मीडिया’ द्वारा गैंगस्टरों के चित्रण पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इससे विशेष रूप से युवाओं में शक्ति और दंड से मुक्ति की विकृत भावना पैदा हुई है।
अदालत ने कहा, “अनियंत्रित गिरोह गतिविधियों के परिणाम बहुत दूरगामी हैं, जिनमें हिंसक अपराध दर में वृद्धि से लेकर प्रभावित समुदायों और क्षेत्रों में आर्थिक अस्थिरता तक शामिल है। इस खतरे से निर्णायक और तेजी से निपटा जाना चाहिए। जबरन वसूली करने वाले रैकेट को खत्म करने, भविष्य के आपराधिक उपक्रमों को रोकने और समाज के नैतिक ताने-बाने की रक्षा करने के लिए सख्त कानून प्रवर्तन और कानूनी उपायों के साथ एक दृढ़ हाथ आवश्यक है,” अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो लोग इस तरह की नापाक गतिविधियों में शामिल हैं, उन्हें कानून की पूरी मार झेलनी पड़े ताकि एक मजबूत संदेश जाए कि इस तरह के अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। “यह जनता के विश्वास को बहाल करने और कानून का पालन करने वाले समाज की नींव की रक्षा करने की दिशा में एक कदम होगा,” अदालत ने कहा।