हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) द्वारा 14.55 एकड़ भूमि – ‘आम के बगीचे’ – की नीलामी करने के निर्णय से सेक्टर 20 के निवासियों को फलों के पेड़ों वाले इस क्षेत्र को बचाने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
एचएसवीपी 28 जुलाई को एक नीलामी आयोजित कर रहा है, जिसमें सेक्टर 20 में ग्रुप हाउसिंग के लिए 14.55 एकड़ जमीन भी नीलामी के लिए सूचीबद्ध है। निवासियों ने फैसला किया है कि अगर एचएसवीपी अपनी योजना पर पुनर्विचार नहीं करता है तो वे नीलामी स्थल पर मौन विरोध प्रदर्शन करेंगे।
पंचकूला के सेक्टर 20 में करीब 150 हाउसिंग सोसायटी हैं, जिसमें बड़ी संख्या में बहुमंजिला इमारतें हैं। सेक्टर 20 के बीच में 20 एकड़ में ‘आम का बाग’ फैला हुआ है। हर साल एचएसवीपी आम के पेड़ों की नीलामी करता है। निवासियों ने हरियाणा सरकार से जमीन की नीलामी के फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने 1 अक्टूबर 2020 को आशियाना स्कीम को मंजूरी दी थी। तब भी निवासियों ने ग्रीन बेल्ट को बचाने के लिए ज्ञापन दिए थे। जिसके बाद 2023 में वन्य जीव विभाग द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान भी क्षेत्र में मोरों की मौजूदगी की पुष्टि हुई थी।
सेक्टर 20 के सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी रणधीर सिंह ने कहा, “फलों के पेड़ों की कटाई प्रतिबंधित है।” उन्होंने कहा, “करीब दो साल पहले, एचएसवीपी ने 20 एकड़ के आम के बाग में से 7 एकड़ पर ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स और कुछ व्यावसायिक जगह बनाने के लिए टेंडर जारी किए थे। आरटीआई के माध्यम से, मुझे जानकारी मिली थी कि वे मानदंडों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले साल एचएसवीपी ने टेंडर रद्द कर दिए थे और अब खरक मंगोली गांव में एक जगह की तलाश कर रहे हैं।”
सेक्टर 20 निवासी अखिल गोयल ने कहा, “हरियाणा सरकार का हरे-भरे आम के बाग को ध्वस्त करके उसे ग्रुप हाउसिंग जीएच38ए में बदलने का फैसला न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि सरकारी नीतियों की विफलता को भी उजागर करता है। निवासियों द्वारा व्यापक प्रयासों के बावजूद, अधिकारियों की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।”
सेक्टर 20 रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष योगिंदर क्वात्रा ने कहा, “यह बाग न केवल फलदार पेड़ों का घर है, बल्कि राष्ट्रीय पक्षी मोर का भी घर है। एचएसवीपी एक ऐसा कदम उठा रहा है जो राष्ट्रीय धरोहर और जैव विविधता को नष्ट करने के बराबर है। यह निर्णय पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के महत्व की घोर अवहेलना करता है। एक वन्यजीव निरीक्षक ने मौके पर रिपोर्ट भी दी थी कि मोरों को संरक्षित किया जाना चाहिए और आम के बाग को बाड़ से घेरना चाहिए, लेकिन सरकार ने इस रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया।”
इस बीच, एचएसवीपी, पंचकूला के मुख्य प्रशासक टीएल सत्यप्रकाश ने कहा, “यह जमीन एचएसवीपी की है, जिसकी नीलामी की जा रही है। हम इस मुद्दे पर विचार कर सकते हैं, लेकिन किसी भी निवासी ने इस शिकायत के साथ हमसे संपर्क नहीं किया है।”