हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पांच अक्टूबर को होने वाले मतदान में प्रमुख राजनीतिक दलों से नौ नए चेहरे मैदान में हैं, जो या तो विदेश में शिक्षित हैं, डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) हैं या भारतीय विश्वविद्यालयों से स्नातकोत्तर हैं, जैसा कि उनके नामांकन पत्रों के विश्लेषण से पता चलता है।
सबसे युवा 25 वर्षीय आदित्य सुरजेवाला तीसरी पीढ़ी के राजनीतिक आकांक्षी हैं। वह कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के बेटे हैं।
ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से बी.कॉम. की डिग्री प्राप्त करने वाले सुरजेवाला कैथल से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता और दादा शमशेर सिंह सुरजेवाला ने विधानसभा में किया था।
आदित्य ने कहा कि अच्छी तरह से पढ़े-लिखे होने से उन्हें यह लाभ मिलता है कि कोई भी उन्हें मूर्ख नहीं बना सकता।
उन्होंने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास विदेशी डिग्री है या नहीं, लेकिन देश में ही अच्छे विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त करने से आपको एक अलग दृष्टिकोण मिलता है जो सकारात्मक बदलाव ला सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अनुभव भी मायने रखता है, लेकिन विषय वस्तु का पूर्व ज्ञान होना मददगार होता है और हमें मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।”
गुरुग्राम में इसी पार्टी से आदित्य के समकक्ष मोहित ग्रोवर ने ब्रुसेल्स, बेल्जियम के अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन संस्थान से प्रबंधन में पीजी डिग्री प्राप्त की है।
कांग्रेस के एक अन्य युवा नेता रोहित नागर (30) को पार्टी ने फरीदाबाद की तिगांव सीट से मैदान में उतारा है। उन्होंने इंग्लैंड के ब्रैडफोर्ड विश्वविद्यालय से बिजनेस मैनेजमेंट स्टडीज में बैचलर ऑफ साइंस की पढ़ाई की है।
दादरी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहीं मनीषा सांगवान ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू), रोहतक से पीएचडी की है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए और बीए भी किया है।
चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही आम आदमी पार्टी (आप) की राज्य इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा कैथल की कलायत सीट से अपना पहला चुनाव लड़ रहे हैं।
वह पूर्व पत्रकार हैं और उन्होंने हरियाणा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और जनसंचार में दोहरी एम.ए. की डिग्री प्राप्त की है।
जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के तीस वर्षीय योगेश भी मास कम्युनिकेशन में डिग्री धारक हैं। उन्होंने गुरु जंबेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार से इस क्षेत्र में एम.एससी. की डिग्री हासिल की है। वे इस बार के सबसे अमीर उम्मीदवार भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु के खिलाफ नारनौंद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
भवानी खेड़ा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार छात्र नेता प्रदीप नरवाल ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से मध्यकालीन इतिहास में एमए किया है।
इसी तरह, गढ़ी-सांपला-किलोई से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चुनाव लड़ रहीं मंजू हुड्डा भी एमडीयू, रोहतक से एमए हैं।
सबसे बुजुर्ग उम्मीदवार भाजपा के डॉ. कृष्ण कुमार (55) हैं, जिन्होंने बावल सीट से चुनाव लड़ने के लिए स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) के पद से सेवानिवृत्ति ले ली है। वे एमडीयू, रोहतक से मास्टर ऑफ सर्जरी (ईएनटी) हैं और विभिन्न जिलों में सिविल सर्जन के पद पर रह चुके हैं।
कांग्रेस से आए नए चेहरे जैसे पूजा चौधरी (मुल्लाना), सचिन कुंडू (पानीपत सिटी) और पराग शर्मा (बल्लभगढ़) विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों से कानून में स्नातक हैं।
करनाल स्थित डीएवी कॉलेज में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष बलराम शर्मा का मानना है कि बेहतर शैक्षणिक योग्यता होने से उम्मीदवार को जनता के समक्ष प्रमुख मुद्दे रखने में मदद मिलती है और इसी प्रकार सार्वजनिक महत्व के बिंदुओं को अधिकारियों के साथ-साथ विधानसभाओं में भी रखने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा, “हालांकि हमारा संविधान किसी भी शैक्षिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति देता है, लेकिन पंचायती राज में संशोधन करके इसे अनिवार्य बना दिया गया है, जिससे हमारे गांवों में सकारात्मक बदलाव आया है। वे अब शहरों से कम नहीं हैं और मतदाताओं में शिक्षित उम्मीदवार चुनने के लिए राजनीतिक चेतना भी बढ़ी है।”