12 नवंबर, 2021 को म्यांमार के यांगून में पनसोदन जेट्टी पर लोग एक नाव से उतरे। म्यांमार, एक समय संपन्न उभरती अर्थव्यवस्था, फिर से गति पाने के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि देश का गृह युद्ध तेजी से व्यापार और आजीविका को बाधित कर रहा है। फ़ाइल | फोटो साभार: एपी
म्यांमार की अर्थव्यवस्था संकट में: नागरिक संघर्ष से व्यापार और आजीविका प्रभावित
मुख्य बिंदु
- म्यांमार में राजनीतिक संकट का आर्थिक प्रभाव
- व्यापार और निवेश में गिरावट
- कृषि और खनन क्षेत्र में उत्पादन में कमी
- नकदी की कमी और बैंकिंग प्रणाली में व्यवधान
- जनता की आजीविका पर गहरा असर
- अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दखल और सहायता
- संकट से उबरने के लिए सुधारात्मक कदम
म्यांमार में राजनीतिक संकट का आर्थिक प्रभाव
2021 में म्यांमार में सेना द्वारा किए गए सैन्य कूटनीतिक कारण से देश में गहरा राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है। इस घटना ने देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। राजनीतिक अस्थिरता, नागरिक अशांति और सुरक्षा व्यवस्था में गिरावट ने व्यापार, निवेश और आर्थिक गतिविधियों को बाधित किया है।
सेना द्वारा सत्ता हथियाने के बाद से, म्यांमार में कई क्षेत्रों में उत्पादन और गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। कई कंपनियों ने अपने परिचालन को बंद कर दिया या फिर देश छोड़ दिया है। विदेशी निवेशक भी म्यांमार में निवेश करने से दूर हट गए हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है।
व्यापार और निवेश में गिरावट
म्यांमार की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ व्यापार क्षेत्र है। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और नागरिक अशांति ने इस क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। कई व्यवसाय और उद्योग बंद हो गए हैं, जिससे रोजगार और आय में भारी गिरावट आई है।
निर्यात भी काफी कम हो गया है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में म्यांमार के उत्पादों की मांग में गिरावट आई है। कई देशों ने म्यांमार के साथ व्यापारिक संबंध कम कर दिए हैं या फिर उन्हें पूरी तरह से बंद कर दिया है। इससे देश के निर्यात राजस्व में भारी कमी आई है।
निवेश भी काफी कम हो गया है। कई विदेशी कंपनियों ने म्यांमार में अपने परिचालन बंद कर दिए हैं या फिर अपने निवेश को कम कर दिया है। इससे नए रोजगार के अवसर भी सीमित हो गए हैं।
कृषि और खनन क्षेत्र में उत्पादन में कमी
कृषि और खनन म्यांमार की अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तंभ हैं। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और संघर्ष ने इन क्षेत्रों में भी गंभीर प्रभाव डाला है।
कृषि क्षेत्र में, किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई क्षेत्रों में उत्पादन बाधित हो गया है क्योंकि किसान अपने खेतों पर नहीं जा पा रहे हैं। इससे धान, सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
खनन क्षेत्र में भी उत्पादन में गिरावट आई है। कई खदानों को बंद कर दिया गया है या फिर उनका परिचालन बाधित हो गया है। इससे खनिज उत्पादन में कमी आई है, जिसका असर देश के निर्यात पर पड़ा है।
नकदी की कमी और बैंकिंग प्रणाली में व्यवधान
राजनीतिक संकट के कारण म्यांमार में नकदी की कमी और बैंकिंग प्रणाली में गंभीर व्यवधान पैदा हो गया है। बैंकों में नकद की कमी के कारण लोगों को अपनी जमा राशि निकालने में कठिनाई आ रही है। कई बैंक भी बंद हो गए हैं।
नकदी की कमी ने व्यापार और व्यवसाय को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लोगों को अपने दैनिक लेन-देन और भुगतान करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कई छोटे व्यवसाय भी बंद हो गए हैं क्योंकि उन्हें नकद की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
बैंकिंग प्रणाली में व्यवधान ने म्यांमार के आर्थिक गतिविधियों को काफी प्रभावित किया है। व्यापार, निवेश और अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए बैंकिंग सेवाओं की कमी एक बड़ी चुनौती बन गई है।
जनता की आजीविका पर गहरा असर
राजनीतिक संकट और आर्थिक गिरावट ने म्यांमार की जनता की आजीविका पर गहरा असर डाला है। कई लोग अपने रोजगार खो चुके हैं या फिर उनकी आय में भारी कमी आई है।
छोटे व्यवसाय और उद्योग बंद होने से रोजगार के अवसर सीमित हो गए हैं। कई लोगों को अपनी नौकरियां छोड़नी पड़ी हैं। कृषि और खनन क्षेत्र में गिरावट से भी कई लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है।
बेरोजगारी और कम आय से जनता की जीवन शैली और खर्च पर गहरा असर पड़ा है। लोगों को अपने बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में कठिनाई आ रही है। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सेवाओं तक पहुंच भी प्रभावित हुई है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दखल और सहायता
राजनीतिक संकट और आर्थिक संकट से निपटने के लिए म्यांमार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन और सहायता की जरूरत है। कई देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने म्यांमार को आर्थिक और मानवीय सहायता प्रदान करने की पहल की है।
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देश म्यांमार को राहत सामग्री, वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं। इससे देश में आवश्यक सेवाओं और बुनियादी ढांचे को बहाल करने में मदद मिल रही है।
हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के दखल और सहायता के बावजूद, म्यांमार की अर्थव्यवस्था अभी भी संकट में है। राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा स्थिति में सुधार के बिना, देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बहाल नहीं हो सकती।
संकट से उबरने के लिए सुधारात्मक कदम
म्यांमार को अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। इसमें राजनीतिक स्थिरता बहाल करना, सुरक्षा स्थिति में सुधार, व्यापार और निवेश को पुनर्जीवित करना और जनता की आजीविका को पुनर्स्थापित करना शामिल है।
राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति में सुधार के लिए सेना और विरोधी पक्षों के बीच संवाद और समझौता होना जरूरी है। यह देश में शांति और स्थिरता लाने में मदद करेगा।
व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कानूनी और नियामक ढांचे में सुधार, कर व्यवस्था को सरल बनाना और बुनियादी ढांचे में निवेश करना महत्वपूर्ण है। इससे देश में आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
कृषि और खनन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को किसानों और खनिक कर्मियों को समर्थन और सुविधाएं प्रदान करनी होंगी। इससे देश की खाद्य और निर्यात क्षमता में सुधार आएगा।
नकदी की कमी और बैंकिंग प्रणाली में व्यवधान को दूर करने के लिए सरकार को वित्तीय क्षेत्र में सुधार और सुदृढ़ीकरण करना होगा। इससे व्यापार, निवेश और अन्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
इन कदमों से म्यांमार की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और संकट से उबरने में मदद मिलेगी। हालांकि, इन सुधारों को लागू करने के लिए राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा स्थिति में सुधार जरूरी है।
म्यांमार, जो एक समय तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था थी, फिर से गति पाने के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि देश का गृह युद्ध तेजी से व्यापार और आजीविका को बाधित कर रहा है।
13 जून को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्व बैंक के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि मार्च में समाप्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था 1% की वार्षिक गति से बढ़ी, जो पहले की अपेक्षा धीमी है। उन्हें इस वित्तीय वर्ष में भी इसी तरह की विकास दर की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में लगभग एक तिहाई लोग गरीबी में जी रहे हैं और अर्थव्यवस्था महामारी से पहले की तुलना में लगभग 10% छोटी है।
अप्रैल में विश्व बैंक का एक सर्वेक्षण “पिछले छह महीनों में आर्थिक गतिविधियों में बहुत कम या कोई सुधार नहीं होने का सुझाव देता है,” यह कहा।
लोकतंत्र समर्थक गुरिल्ला और जातीय अल्पसंख्यक सशस्त्र बल म्यांमार की सेना से लड़ रहे हैं क्योंकि सेना ने 2021 की शुरुआत में आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार को हटा दिया था। हाल के महीनों में, विपक्षी ताकतों के बढ़ते दबाव के कारण सेना कमजोर हो गई है और उसे युद्ध के मैदान में अभूतपूर्व हार का सामना करना पड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “आर्थिक दृष्टिकोण बहुत कमजोर बना हुआ है, जिससे निकट से मध्यम अवधि में म्यांमार के परिवारों को थोड़ी राहत मिलेगी।” “व्यावसायिक वातावरण घर्षण, व्यापार और रसद व्यवधानों, व्यापक आर्थिक अस्थिरता, नियामक अनिश्चितता और बिजली कटौती से बाधित रहेगा।” माना जाता है कि देश के कई हिस्सों में सशस्त्र संघर्ष के कारण 30 लाख से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं। इस बीच, म्यांमार की मुद्रा, क्यात का मूल्य डूब गया है और कई आयातित सामान कम आपूर्ति में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व बैंक द्वारा सर्वेक्षण किए गए कारखानों में से एक तिहाई ने बिजली कटौती की सूचना दी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में समाप्त छमाही में म्यांमार का निर्यात एक साल पहले की तुलना में 13% गिर गया, जबकि आयात 20% गिर गया।
संपादकीय: बदलती लहरें: लोकतंत्र और म्यांमार के गृहयुद्ध पर
सैन्य कब्जे से पहले, कपड़ा कारखाने विशेष रूप से युवा महिलाओं के लिए नौकरियों और नई औद्योगिक अर्थव्यवस्था के लिए निर्यात राजस्व का एक समृद्ध स्रोत थे। लेकिन वैश्विक ब्रांड देश से बाहर जा रहे हैं और मार्च तक की छमाही में विनिर्माण निर्यात में लगभग पांचवें हिस्से की गिरावट आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले से ही महत्वपूर्ण श्रम की कमी को और भी बदतर बनाते हुए, जैसा कि म्यांमार के सैन्य शासकों ने अपनी सेनाओं की पूर्ति के लिए भर्ती का विस्तार किया है, श्रमिक विदेश या ग्रामीण क्षेत्रों में भाग गए हैं।