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भरतपुर लारेट गंगा मंदिर: भरतपुर का गंगा मंदिर उत्तर भारत में भव्य मंदिर है। महाराजा बालवंत सिंह ने 1845 में अपनी नींव रखी। यहां हर दिन गंगा पानी के साथ पूजा की जाती है। गंगा दशहरा पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, …और पढ़ें

भरतपुर में स्थित विशाल गंगा मंदिर
हाइलाइट
- भरतपुर का गंगा मंदिर उत्तर भारत में भव्य मंदिर है।
- मंदिर की नींव 1845 में महाराजा बालवंत सिंह द्वारा रखी गई थी।
- मंदिर में हर दिन गंगा का पानी का अभिषेक किया जाता है।
भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर शहर में स्थित गंगा मंदिर धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। यह वास्तुकला और सांस्कृतिक गौरव का एक भव्य प्रतीक भी है। इस मंदिर को उत्तर भारत में सबसे बड़ा और भव्य गंगा मंदिर माना जाता है। इसकी नींव 1845 में भरतपुर के राजकुमार राज्य के महाराजा बालवंत सिंह द्वारा रखी गई थी। मंदिर बयाना क्षेत्र के बंसी पहरपुर के गुलाबी और लाल बलुआ पत्थर के साथ बनाया गया है। देश भर के कुशल कारीगरों और शिल्पकारों ने इस अद्भुत विरासत को वर्षों तक कड़ी मेहनत के साथ आकार दिया।
पवित्र अनुष्ठान और गंगा पानी का महत्व
गंगा मंदिर की एक विशेषता यह है कि मां गंगा को हर दिन गंगा पानी के साथ यहां अभिषेक किया जाता है। गंगा का पानी भक्तों को प्रसादी के रूप में वितरित किया जाता है। लगभग 20 हजार लीटर गंगा पानी का उपयोग पूरे वर्ष अभिषेक और प्रसाद वितरण में किया जाता है। यह मंदिर गंगा पानी की पवित्रता का एक जीवित उदाहरण है।
हर साल गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर यहां विशेष अनुष्ठान और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बड़ी संख्या में भक्त देश भर से पहुंचते हैं और गंगा को प्रार्थना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिर परिसर में गंगा दशहरा पर प्रसाद, जलपान और धार्मिक प्रवचन भी आयोजित किए जाते हैं, जो जनता में त्योहार को भरता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान
गंगा मंदिर न केवल भरतपुर में धार्मिक विश्वास का केंद्र है, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक पहचान का एक अमिट प्रतीक भी बन गया है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला, शिल्प कौशल और धार्मिक समर्पण के उदाहरण के रूप में भरतपुर का गौरव है। इसे पूरी दुनिया में गंगा माता को समर्पित सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है।