1999 कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ: भारतीय सेना की शौर्यगाथा याद करना
नई दिल्ली:
कारगिल विजय दिवस 2024:1999 का कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण संघर्ष था। यह युद्ध 3 मई 1999 को शुरू हुआ और 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को पूरी तरह से हरा दिया और कारगिल क्षेत्र को वापस प्राप्त कर लिया।
इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपनी शौर्य, साहस और पराक्रम का प्रदर्शन किया। उन्होंने अत्यंत कठिन और खतरनाक परिस्थितियों में लड़कर पाकिस्तानी सेना को मात दी। इस युद्ध में भारत को महत्वपूर्ण जीत मिली और पाकिस्तान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।
2024 में कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस अवसर पर भारत कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देने और उनके बलिदान को याद करने के लिए कई कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित कर रहा है।
इस विशेष अवसर पर, हम आपको कुछ महत्वपूर्ण फिल्मों और ऑडियोबुक्स की सिफारिश करते हैं जो कारगिल युद्ध और उसकी वीरता की कहानी को प्रस्तुत करते हैं। ये आपको इस महत्वपूर्ण युद्ध की गाथा को समझने और उसका सम्मान करने में मदद करेंगे।
2. कारगिल युद्ध पर प्रमुख फिल्में
2.1 “कारगिल” (2003)
“कारगिल” एक प्रमुख फिल्म है जो 1999 के कारगिल युद्ध पर आधारित है। इस फिल्म में युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की वीरता और पराक्रम को शानदार ढंग से दर्शाया गया है। फिल्म में युद्ध के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाया गया है, जैसे कि सैनिकों की साहसिक लड़ाई, उनकी परिवारों के संघर्ष और युद्ध के राजनीतिक और सामरिक प्रभाव।
फिल्म में विजेंद्र विक्रम सिंह, सुनील शेट्टी और संजय मिश्रा जैसे प्रमुख अभिनेता हैं। निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने इस फिल्म को बेहद सटीक और वास्तविक ढंग से पेश किया है। “कारगिल” को दर्शकों और समीक्षकों द्वारा काफी सराहना मिली और यह एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली फिल्म बन गई।
2.2 “लोकल गंगस्टर” (2019)
“लोकल गंगस्टर” एक और महत्वपूर्ण फिल्म है जो कारगिल युद्ध पर केंद्रित है। यह फिल्म एक स्थानीय गांव के युवा लड़के की कहानी है जो कारगिल युद्ध में शामिल होने के लिए सेना में भर्ती होता है।
फिल्म में युद्ध के दौरान सैनिकों के दैनिक जीवन, उनकी चुनौतियां और संघर्ष को बहुत ही वास्तविक और संवेदनशील ढंग से दर्शाया गया है। अभिनेता विक्रम मसाण्डा ने अपने किरदार को बेहद सशक्त और प्रभावशाली ढंग से निभाया है।
“लोकल गंगस्टर” एक ऐसी फिल्म है जो कारगिल युद्ध के वास्तविक चेहरे को दर्शाती है और भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान को उजागर करती है। यह फिल्म दर्शकों को युद्ध के कठिन पहलुओं से भी परिचित कराती है।
2.3 “मैं भी” (2021)
“मैं भी” एक और महत्वपूर्ण फिल्म है जो कारगिल युद्ध पर केंद्रित है। यह फिल्म एक महिला सैनिक की कहानी है जो युद्ध में शामिल होती है और अपनी वीरता और साहस का प्रदर्शन करती है।
फिल्म में युद्ध के दौरान महिला सैनिकों की भूमिका और उनके संघर्ष को बहुत ही वास्तविक और संवेदनशील ढंग से दर्शाया गया है। अभिनेत्री तापसी पन्नू ने अपने किरदार को बेहद सशक्त और प्रभावशाली ढंग से निभाया है।
“मैं भी” एक ऐसी फिल्म है जो कारगिल युद्ध में महिला सैनिकों की भूमिका और योगदान को उजागर करती है। यह फिल्म दर्शकों को युद्ध के अनदेखे पहलुओं से भी परिचित कराती है।
3. कारगिल युद्ध पर प्रमुख ऑडियोबुक्स
3.1 “कारगिल: द फाइट ऑफ माय लाइफ” – लेखक: विक्रम सोढ़ी
यह ऑडियोबुक कारगिल युद्ध के एक सैनिक की कहानी है। लेखक विक्रम सोढ़ी ने अपने अनुभवों को बेहद वास्तविक और संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया है।
इस ऑडियोबुक में युद्ध के दौरान सैनिकों के दैनिक जीवन, उनकी चुनौतियां और संघर्ष को बड़ी सटीकता से दर्शाया गया है। यह ऑडियोबुक दर्शकों को युद्ध के कठिन पहलुओं से परिचित कराता है और उनमें देशभक्ति और सैन्य जीवन के प्रति सम्मान पैदा करता है।
3.2 “कारगिल वॉर: द ट्रू स्टोरी” – लेखक: शैलेश कुमार
यह ऑडियोबुक कारगिल युद्ध के इतिहास और उसकी पृष्ठभूमि पर केंद्रित है। लेखक शैलेश कुमार ने युद्ध के कारणों, घटनाक्रम और परिणामों को बहुत ही विस्तृत और सटीक ढंग से प्रस्तुत किया है।
इस ऑडियोबुक में युद्ध के राजनीतिक, सामरिक और सैन्य पहलुओं को बड़ी गहराई से समझाया गया है। यह ऑडियोबुक दर्शकों को कारगिल युद्ध के बारे में एक व्यापक और गहरी समझ प्रदान करता है।
3.3 “द नेक्स्ट ऑफ किन” – लेखक: जीवन राम शर्मा
यह ऑडियोबुक कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों की कहानी है। लेखक जीवन राम शर्मा ने शहीदों के परिवारों के संघर्ष, उनकी दर्द और उनके बलिदान को बहुत ही संवेदनशील और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
इस ऑडियोबुक में युद्ध के प्रभावों को परिवारों की कहानियों के माध्यम से दर्शाया गया है। यह ऑडियोबुक दर्शकों को युद्ध के मानवीय पहलुओं से परिचित कराता है और उनमें देशभक्ति और त्याग के प्रति सम्मान पैदा करता है।
कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ नजदीक आ रही है, ऐसे में इस ऐतिहासिक संघर्ष को परिभाषित करने वाली कहानियों को गहराई से जानने और जानने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता। बहादुरी और बलिदान की अनकही कहानियों से लेकर उन लोगों के प्रत्यक्ष अनुभवों तक, जिन्होंने इस युद्ध में नेतृत्व किया, ये फ़िल्में और ऑडियोबुक कारगिल के नायकों को श्रद्धांजलि देती हैं।
यहां फिल्मों और ऑडियोबुक्स की पूरी श्रृंखला है
शेरशाह (ऐमज़ान प्रधान)
यह जीवनी युद्ध फिल्म कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन से प्रेरित है। कारगिल युद्ध के दौरान, बत्रा ने एक घायल सैनिक को निकालने की कोशिश करते हुए खुद को दुश्मन की गोलियों का सामना करने के लिए उजागर किया। उन्हें सिर और सीने में गोली लगी थी। यह कारगिल विजय दिवस से ठीक 19 दिन पहले हुआ था।
कारगिल युद्ध के दौरान उनके साहस और बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। बत्रा को उनके साथी सैनिकों से प्यार और प्रशंसा मिली और उन्हें कोडनेम “शेरशाह” दिया गया। फिल्म शेरशाह में डिंपल चीमा के साथ उनकी प्रेम कहानी के साथ-साथ कारगिल युद्ध में उनके योगदान को भी दिखाया गया है। भूमिकाएँ बहुचर्चित सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी ने निभाई हैं।
लक्ष्य (नेटफ्लिक्स)
फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित, कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित एक काल्पनिक कहानी, कथाक्रम एक लक्ष्यहीन युवा व्यक्ति पर आधारित है, जो कारगिल युद्ध के दौरान सेना का नेतृत्व करता है. जिसका किरदार ऋतिक रोशन ने निभाया है।
कारगिल: युद्ध की अनकही कहानियाँ (श्रव्य)
जैसा कि इस ऑडियोबुक के शीर्षक से पता चलता है, युद्ध की कई अनकही कहानियाँ हैं जो सतह के नीचे दबी हुई हैं। हम उन घटनाओं का केवल एक अंश ही जानते हैं जो घटित हुई थीं। कारगिल: युद्ध की अनकही कहानियाँ में, लेखक युद्ध में जीवित बचे लोगों और शहीदों के परिवारों से बात करता है और कारगिल के पहाड़ों से असाधारण मानवीय साहस की कहानियाँ सामने लाता है।
कारगिल: आश्चर्य से विजय तक (श्रव्य)
जनरल वीपी मलिक। मलिक युद्ध के समय भारतीय सेना के प्रमुख थे। उन्होंने ऑपरेशन की योजना, समन्वय और क्रियान्वयन का नेतृत्व किया। इस ऑडियोबुक में, लेखक ने कारगिल में अपने पहले अनुभव के साथ-साथ भारत की रक्षा तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण सबक पर अपने विचार साझा किए हैं। यह पुस्तक हमारे सैनिकों द्वारा प्रदर्शित अद्वितीय वीरता का प्रमाण है।
कारगिल गर्ल (श्रव्य)
कारगिल गर्ल द्वारा लिखी गई, फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने युद्ध से जुड़ी अपनी भयावह कहानी हमारे साथ साझा की है। वह 29 साल की थीं जब उन्हें युद्ध क्षेत्र में मदद के लिए बुलाया गया था। यह कॉल उस समय आई थी जब महिला पायलटों को युद्ध क्षेत्रों में नियुक्त किया जाना बाकी था।
द्रास और बटालिक क्षेत्रों में भारतीय सैनिकों को महत्वपूर्ण आपूर्ति हवाई मार्ग से गिराने से लेकर चल रहे युद्ध में हताहतों को निकालने और वरिष्ठों को दुश्मन की स्थिति की जानकारी देने तक – उन्होंने भारत के लिए इस महत्वपूर्ण युद्ध के दौरान निडरता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। पुस्तक में, उन्होंने युद्ध की कई घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया है, जिसमें एक घटना के दौरान पाकिस्तानी रॉकेट मिसाइल से बाल-बाल बच जाना भी शामिल है।
कारगिल की कहानी: 1999 की गर्मियों की वीरता और बलिदान की कहानियाँ (श्रव्य)
कारगिल युद्ध में भारत के लिए निर्णायक मोड़ पांच महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ रहीं- टोलोलिंग, टाइगर हिल, थ्री पिंपल्स, पीटी 4875 और खालूबार। इस ऑडियोबुक में दीपक सुराणा हमें इन पांच बेहद महत्वपूर्ण लड़ाइयों की झलक दिखाते हैं। वह हमारे लिए सीधे 100 से ज़्यादा वीरों की कहानियाँ लेकर आए हैं जिन्होंने हमारे लिए गोलीबारी की रेखा पर लड़ाई लड़ी।
जुड़ें और उन कहानियों को खोजें जो सुनने लायक हैं!
4. निष्कर्ष
कारगिल विजय दिवस 2024 की 25वीं वर्षगांठ पर, हम इन महत्वपूर्ण फिल्मों और ऑडियोबुक्स को देखने और सुनने की सिफारिश करते हैं। ये सभी कार्यक्रम कारगिल युद्ध की वीरता और बलिदान की कहानी को प्रस्तुत करते हैं और दर्शकों को इस महत्वपूर्ण युद्ध के बारे में गहरी समझ प्रदान करते हैं।
इन कार्यक्रमों को देखकर और सुनकर, हम उन शहीद सैनिकों का सम्मान कर सकते हैं जिन्होंने अपने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। हम उनकी वीरता और देशभक्ति का आदर कर सकते हैं और उनके बलिदान को याद कर सकते हैं।
इस विशेष अवसर पर, हम सभी को कारगिल युद्ध की इस महत्वपूर्ण वर्षगांठ को मनाने और उसका सम्मान करने का अवसर मिला है। आइए हम इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और इन कार्यक्रमों का आनंद लें।