भाई दूज, जिसे भारत के विभिन्न हिस्सों में भाऊ बीज, भाई टीका या भाई फोंटा के नाम से भी जाना जाता है, भाइयों और बहनों के बीच के पवित्र बंधन का सम्मान करने के लिए हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। दिवाली के दूसरे दिन पड़ने वाला यह त्योहार के मौसम की सुंदर परिणति का प्रतीक है। 2024 में, भाई दूज 3 नवंबर को मनाया जाएगा, और इसका महान सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बना हुआ है।
भाई दूज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भाई दूज का इतिहास प्राचीन कहानियों और किंवदंतियों से भरा हुआ है जो भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा पर जोर देते हैं। सबसे लोकप्रिय कहानियों में से एक मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना की है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन, यमुना ने अपने भाई को अपने घर आमंत्रित किया था और उसे शानदार भोजन कराया था। उसके प्यार और आतिथ्य से प्रभावित होकर, यमराज ने यमुना को आशीर्वाद दिया और घोषणा की कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से मिलने जाएगा और अपने माथे पर औपचारिक तिलक लगाएगा, वह असामयिक मृत्यु से सुरक्षित रहेगा। तब से, यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है, जो अपने भाई की लंबी उम्र और कल्याण के लिए बहन की प्रार्थना का प्रतीक है।
भाई दूज से जुड़ी एक और पौराणिक कथा भगवान कृष्ण से संबंधित है। राक्षस नरकासुर को हराने के बाद, कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। उन्होंने मिठाइयों से उनका स्वागत किया और उनके माथे पर औपचारिक तिलक लगाया, जिससे त्योहार में भाई-बहन के रिश्ते पर जोर दिया गया।
भाई दूज का सांस्कृतिक उत्सव
भाई दूज पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है, हालाँकि रीति-रिवाज और परंपराएँ क्षेत्र के अनुसार भिन्न हो सकती हैं:
उत्तर भारत: उत्तरी राज्यों में बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष व्यंजन और मिठाइयाँ तैयार करती हैं। पवित्र तिलक लगाने के बाद, वे आरती करते हैं और अपने भाई की समृद्धि और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को प्यार की निशानी के रूप में उपहार देते हैं।
महाराष्ट्र और गोवा (भाऊ बीज): इस दिन को एक विशेष अनुष्ठान के साथ चिह्नित किया जाता है जहां बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाने से पहले बैठने के लिए फर्श पर एक वर्ग बनाती हैं। यह त्यौहार पूरन पोली या बासुंदी जैसे विशेष व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है।
पश्चिम बंगाल (भाई फोंटा): बंगाल में भाई दूज को भाई फोंटा के नाम से मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों के तिलक लगाने तक उपवास रखती हैं और उनके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए विशिष्ट मंत्रों का जाप करती हैं। इसके बाद परिवार द्वारा एक भव्य दावत का आयोजन किया जाता है।
नेपाल (भाई टीका): भाई टीका नेपाल में पांच दिवसीय तिहार उत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा है। बहनें अपने भाइयों के माथे पर सात रंगों का तिलक लगाती हैं और गेंदे के फूलों की माला पहनाकर तथा मिठाइयाँ और फल चढ़ाकर अनुष्ठान करती हैं।
भाई दूज का धार्मिक महत्व
भाई दूज एक त्यौहार से कहीं अधिक है; यह भाई-बहनों के बीच प्यार, प्रार्थना और सुरक्षा की गहरी अभिव्यक्ति है। बहनों द्वारा लगाया गया तिलक आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है जो भाइयों को बुराई और दुर्भाग्य से बचाता है। यह अनुष्ठान कृतज्ञता की अभिव्यक्ति और समृद्ध भविष्य की कामना भी है।
धार्मिक रूप से, यह दिन पारिवारिक बंधनों की पवित्रता के विचार को पुष्ट करता है। यमराज-यमुना की कहानी दर्शाती है कि देवता भी भाई-बहन के प्रेम की शक्ति को स्वीकार करते हैं। भाई दूज व्यापक दिवाली त्योहार के सार के साथ भी मेल खाता है, जो प्रकाश, अच्छाई और पारिवारिक सद्भाव का जश्न मनाता है।
प्रतीकात्मक महत्व
यह त्यौहार उस विशेष भूमिका की याद दिलाता है जो भाई-बहन एक-दूसरे के जीवन में निभाते हैं। भाई दूज एक उत्सव है:
प्यार और सुरक्षा: बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की सुरक्षा और समर्थन करने की प्रतिज्ञा करते हैं।
पारिवारिक एकता: यह अवसर पारिवारिक बंधनों को मजबूत करता है और भाई-बहनों को फिर से जुड़ने और एक साथ जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।
आध्यात्मिक कृतज्ञता: प्रार्थनाएं और अनुष्ठान आध्यात्मिक अर्थ रखते हैं, भाई-बहनों के बीच साझा किए गए बंधन के लिए कृतज्ञता और प्रशंसा की भावना को बढ़ावा देते हैं।
पारंपरिक रीति-रिवाज और अनुष्ठान
भाई दूज के दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों में शामिल हैं:
तिलक समारोह: केंद्रीय अनुष्ठान में बहनें अपने भाई के माथे पर सिंदूर, चंदन का पेस्ट और चावल से बना एक औपचारिक तिलक लगाती हैं।
आरती: बहनें अपने भाई को नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाने के लिए उसके चारों ओर एक छोटा तेल का दीपक या आरती की थाली घुमाती हैं।
जेवनार हो रहा है: विशेष व्यंजन और मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं, जैसे खीर, बर्फी और लड्डू, जो उत्सव को बढ़ाते हैं।
गिफ्ट का लेनदेन: भाई अपनी बहनों को उपहार या पैसे देकर अपना स्नेह व्यक्त करते हैं, जो उनकी सराहना और जिम्मेदारी का प्रतीक है।
(यह लेख केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है। ज़ी न्यूज़ इसकी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता है।)