केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि इस क्षेत्र में समस्याएं हैं और वह किसानों और उनके संघों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
चौहान ने राज्य सरकारों से सहयोग की मांग करते हुए कहा कि किसानों के कल्याण के लिए यह जरूरी है। उन्होंने कहा कि वह मुद्दों को सुलझाने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेंगे, चाहे राज्य में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो।
कृषि मंत्रालय के कामकाज और किसानों के कल्याण पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “कृषि में समस्याएं हैं लेकिन समाधान भी हैं। हम किसानों और किसान संघों से बात करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम बातचीत के जरिए इसका समाधान करेंगे और सभी को साथ लेकर आगे बढ़ेंगे।’’ चौहान ने राजनीतिक दलों से अनुरोध किया कि वे किसानों को वोट बैंक की तरह न समझें।
उन्होंने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग के बिना काम नहीं कर सकती।’’
चौहान ने आगे कहा कि वह संघीय भावना का सम्मान करते हैं और उन्होंने किसानों की समस्याओं पर चर्चा के लिए राज्य सरकारों के कृषि मंत्रियों को आमंत्रित किया है।
उन्होंने कहा, ”हम राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करेंगे।” चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार, 2047 तक भारत न केवल पर्याप्त पौष्टिक भोजन, सब्जियां और फल पैदा करेगा, बल्कि दुनिया की खाद्य टोकरी के रूप में भी उभरेगा।
सोमवार को प्रश्नकाल के बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने चौहान को अपना जवाब पूरा करने के लिए बुलाया। इसके तुरंत बाद विपक्षी सदस्यों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के कानूनी आश्वासन और अन्य मांगों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।
धनखड़ ने सदन को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि वह नेतृत्व से पूरा सहयोग चाहते हैं। उन्होंने सदस्य का नाम उजागर करने की भी धमकी दी।
राज्य सभा में यदि किसी सदस्य का नाम लिया जाता है तो उसे सदन छोड़ना पड़ता है।
चौहान ने विपक्ष के हंगामे के बीच अपना जवाब देना शुरू किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के जरिए ₹उन्होंने कहा कि न्यूनतम आय सहायता के रूप में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की राशि दिए जाने से छोटे किसानों को आत्मनिर्भर, मजबूत और सशक्त बनने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस हमेशा किसानों की सीधे मदद करने की बात करती रही है। लेकिन उसने ऐसा कभी नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही पीएम-किसान योजना शुरू की थी।”
किसानों पर गोली चलाने के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए चौहान ने कहा कि विपक्ष के हाथ किसानों के खून से रंगे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 24 किसान मारे गए थे।
चौहान ने यह बात उस समय कही जब दिग्विजय सिंह, रणदीप सिंह सुरजेवाला और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह जैसे अन्य कांग्रेस सदस्यों के साथ सदन में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे।
चौहान ने कहा, “मैंने उन्हें चेतावनी दी है कि वे मुझे न छेड़ें। अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं आपको नहीं छोड़ूंगा।” उन्होंने कई राज्यों में कांग्रेस शासन के दौरान हुई गोलीबारी की घटनाओं का नाम लिया।
विपक्ष ने जवाब देने के अधिकार की मांग की, जिसे धनखड़ ने खारिज कर दिया। इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
अपना जवाब जारी रखते हुए चौहान ने कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के भाषण पढ़े हैं और कहा कि किसान कभी भी कांग्रेस की प्राथमिकता नहीं रहे।