हरियाणा में इस वर्ष अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के पुत्र मनीष बंसल पंचकूला में राजनीतिक प्रभाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
45 वर्षीय मनीष पंचकूला से कांग्रेस टिकट के लिए प्रयासरत हैं और स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य में उनकी बढ़ती उपस्थिति हलचल पैदा कर रही है, तथा पार्टी नेता घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
बंसल परिवार के केंद्रीय नेतृत्व से संबंधों को देखते हुए उनके प्रयास विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। हालांकि मनीष का यह पहला चुनाव नहीं होगा, वे पहले भी बरनाला से 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
पंचकूला में कांग्रेस पार्टी फिलहाल नेतृत्वविहीन है, इसलिए क्षेत्र से बाहर के नेताओं के लिए मैदान खुला है।
चंद्र मोहन, जो 2019 के चुनावों में असफल रहे थे और कभी पंचकूला में पार्टी के चेहरे के रूप में देखे जाते थे, हाल के लोकसभा चुनावों में सिरसा से कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करने के बाद फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र पर अपना ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल, जो आम चुनावों के दौरान चंडीगढ़ में कांग्रेस उम्मीदवार मनीष तिवारी के प्रचार अभियान से गायब रहे थे, पंचकूला में पार्टी उम्मीदवार के लिए सक्रिय रूप से प्रचार करते देखे गए।
चंडीगढ़ से चार बार सांसद रह चुके बंसल टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन तिवारी से हार गए थे।
विधि स्नातक से व्यवसायी बने
पंजाब विश्वविद्यालय से विधि स्नातक और व्यवसायी मनीष बंसल ने पंजाब युवा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष के अलावा हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में भी काम किया है।
फिलहाल दिल्ली में मौजूद मनीष ने कहा, “मैं पिछले 16 सालों से पंचकूला में काम कर रहा हूं और यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा रखता हूं, लेकिन अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान पर निर्भर करेगा।”
पंचकूला की राजनीति में बनिया वोट का बोलबाला
मनीष का लक्ष्य पंचकूला में प्रभावशाली बनिया वोटों के बीच अपनी जगह बनाना है, जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है।
मुख्य रूप से बनिया और पंजाबी समुदायों का घर, पंचकूला विधानसभा क्षेत्र परिसीमन के बाद कालका से अलग करके बनाया गया था।
2009 में इस सीट पर पहला चुनाव कांग्रेस के देवेंद्र कुमार बंसल ने जीता था, इससे पहले वे अंबाला से चुनाव लड़ चुके थे। इसके बाद 2014 में भाजपा के ज्ञान चंद गुप्ता ने इस सीट पर कब्जा किया और 2019 में भी उन्होंने इसे बरकरार रखा।
गुप्ता चंडीगढ़ के जिला भाजपा अध्यक्ष और मेयर भी रह चुके हैं। 2020 में जब पहली बार पंचकूला मेयर का सीधा चुनाव हुआ था, तो बनिया समुदाय के प्रतिनिधि कुलभूषण गोयल ने जीत हासिल की थी।
इस बीच, पंचकूला से लक्ष्मण गोयल ने भी पंचकूला सीट पर दावा ठोका है। 1976 से कांग्रेस के सदस्य रहे गोयल अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के संरक्षक, केयरिंग हैंड चैरिटेबल फाउंडेशन के चेयरमैन और पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) के पूर्व निदेशक भी रह चुके हैं।
कांग्रेस की राज्य महिला शाखा की प्रमुख सुधा भारद्वाज और पूर्व महापौर उपिंदर आहलूवालिया भी सक्रियता से टिकट की मांग कर रही हैं, जिससे पंचकूला से पार्टी के नामांकन के लिए प्रतिस्पर्धा का संकेत मिल रहा है।