केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत केंद्रीय बजट को क्षेत्र में मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली है। विपक्षी नेताओं ने इसे निराशाजनक बताया, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने इसे दूरदर्शी बजट बताया।
व्यापार एवं उद्योग निकायों एवं संगठनों ने भी मिश्रित प्रतिक्रिया दी है।
विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने केन्द्रीय बजट को निराशाजनक बताया है, जिसमें उनके अनुसार बेरोजगारी और गरीबी उन्मूलन जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत का नारा एक झूठी कल्पना के अलावा कुछ नहीं है और यह हास्यास्पद है कि 135 करोड़ की आबादी वाले देश में सरकार पांच साल की अवधि में सिर्फ 20 लाख युवाओं को कौशल विकास प्रदान करने की बात कर रही है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवाओं को 7.50 लाख करोड़ रुपये देने की अवधारणा एक विचार ही बनकर रह जाएगी, क्योंकि बैंकों ने अब तक बेरोजगार युवाओं को असुरक्षित ऋण नहीं दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने कर्नाटक सहित दक्षिणी राज्यों की उपेक्षा की है, जबकि उसने देश के अमीर और उच्च वर्ग की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया है, तथा दलितों और आदिवासियों की पूरी तरह उपेक्षा की है।
कर्नाटक स्लम विकास बोर्ड के अध्यक्ष एवं विधायक प्रसाद अब्बय्या ने कहा है कि केवल बिहार और आंध्र प्रदेश को अतिरिक्त अनुदान देकर केंद्रीय वित्त मंत्री ने अन्य राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार बचाने के लिए भाजपा ने उन राज्यों को विशेष पैकेज दिए हैं जहां उसके सहयोगी सत्ता में हैं। उन्होंने कहा कि निर्मला सीतारमण ने कर्नाटक के लिए कुछ नहीं किया है, जिसका वह प्रतिनिधित्व करती हैं।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने केंद्रीय बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने की दिशा में एक और कदम बताया है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं और पूंजी निवेश को बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये किया है। उन्होंने राजकोषीय घाटे को 5.1% पर स्थिर करके राजकोषीय अनुशासन भी बनाए रखा है।
श्री जोशी ने कहा कि 26,000 करोड़ रुपये की रेल परियोजनाओं की घोषणा करके बजट में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की रेल परियोजनाओं को विशेष दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर यह जनहितैषी बजट है।”
उच्च प्राथमिकता
उत्तर और मध्य कर्नाटक के उद्योगपतियों और व्यापारियों की प्रतिनिधि संस्था कर्नाटक चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) ने कहा है कि औद्योगिक क्षेत्रों, विशेषकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम क्षेत्र के उद्यमों (एमएसएमई) के विकास और कर कानूनों को सरल बनाने को उच्च प्राथमिकता दी गई है।
एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में केसीसीआई के अध्यक्ष एसपी सौंशीमठ, उपाध्यक्ष संदीप बिदासरिया, मानद सचिव रवींद्र बालिगा, मानद संयुक्त सचिव महेंद्र सिंघी और अन्य ने कहा है कि केंद्रीय बजट में महिला सशक्तीकरण के लिए उल्लेखनीय उपाय शामिल हैं और व्यक्तिगत आयकर के संदर्भ में, 15 लाख रुपये तक की आय के लिए कर की दर में क्रमिक कमी से व्यक्तिगत करदाताओं को लाभ होगा।
विज्ञप्ति में कहा गया, “हालांकि, आम करदाताओं को बहुत कम रियायतें देने की घोषणा रोते हुए बच्चों को लॉलीपॉप देने जैसा है।”
प्रख्यात चार्टर्ड अकाउंटेंट चरंतिमठ एनए ने कहा है कि बजट के माध्यम से केंद्र सरकार ने एमएसएमई, सेवा क्षेत्र और विनिर्माण सेवाओं में रोजगार सृजन को बड़ा बढ़ावा दिया है।
प्रति वर्ष लाखों नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है, क्योंकि 1,00,000 प्रति माह से कम वेतन वाले नए कर्मचारियों के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की घोषणा की गई है।
कर्नाटक विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बीएच नागूर ने कहा है कि केंद्रीय बजट में मुख्य रूप से युवाओं और ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
उन्होंने कहा, “मध्यम वर्ग के करदाताओं को थोड़ी राहत मिली है क्योंकि मानक कटौती को बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है और कर स्लैब में बदलाव किया गया है। इस समायोजन से चार करोड़ करदाताओं को ₹17,500 तक की बचत होने की उम्मीद है। सोना, चांदी, कैंसर की दवा और मोबाइल फोन सस्ते हो जाएंगे। हालांकि, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र को अधिक आवंटन मिलना चाहिए था।”
आईसीएआई की एसआईआरसी की हुबली शाखा के अध्यक्ष धनपाल जे. मुन्नोली ने कहा है कि कर दरों में कमी स्वागत योग्य है, लेकिन अल्पावधि निवेश के माध्यम से निवेश से लाभ पर कर में वृद्धि निराशाजनक है।
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर बजट में रोजगार सृजन और किसानों की मदद पर ध्यान केंद्रित किया गया है।’’
एक अन्य चार्टर्ड अकाउंटेंट वाईएम खटावकर ने आयकर व्यवस्था में सरलीकरण और पूंजीगत लाभ कर में कटौती का स्वागत किया है।
हालांकि, उन्होंने पेंशनभोगियों के लिए छूट सीमा को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 करने को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि इसे बढ़ाकर कम से कम ₹50,000 किया जाना चाहिए था।
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एआईडीएसओ) ने बजट को छात्रों को कर्ज के भंवर में धकेलने वाला बताया है।
एआईडीएसओ की जिला सचिव शशिकला मेती ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सिर्फ 4% आवंटन दिया है और छात्रों पर बोझ कम करने के बजाय उन्हें ऋण लेने के लिए मजबूर कर रही है।
डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) के बसवराज पुजार ने कहा है कि केंद्रीय बजट देश के वास्तविक मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहा है और उन्होंने इसे जनविरोधी करार दिया।
उन्होंने कहा कि बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है जो बेरोज़गारी के मुद्दे को ईमानदारी से संबोधित करे। नौकरियां देने के बजाय बजट में इंटर्नशिप देने की बात की गई है।
पूर्व मंत्री सीसी पाटिल, हुबली धारवाड़ सेंट्रल के विधायक महेश तेंगिनाकाई, पूर्व मेयर इरेश अंचतागेरी और भाजपा के अन्य नेताओं ने बजट को देश के विकास को और बढ़ावा देने वाला बताया है।