मुजफ्फरनगर के पास हरिद्वार में गंगा नदी से पवित्र जल लेकर आते बड़ी संख्या में कांवड़िए। फाइल। | फोटो साभार: आर.वी. मूर्ति
मुजफ्फरनगर पुलिस द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश पर नाराजगी के मद्देनजर, जिला पुलिस ने गुरुवार को एक नया आदेश जारी कर ऐसी घोषणा को ‘स्वैच्छिक’ कार्य बना दिया।
आदेश में कहा गया है, “पिछले दिनों ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जब कांवड़ मार्ग पर सभी तरह की खाद्य सामग्री बेचने वाले कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानों के नाम इस तरह से रखे कि इससे कांवड़ियों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कांवड़ मार्ग पर खाद्य सामग्री बेचने वाले होटलों, ढाबों और दुकानदारों से अनुरोध किया गया है कि वे स्वेच्छा से अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करें।”
‘सद्भाव की जीत’
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रशासन के संशोधित फैसले को प्रेम और सौहार्द की जीत बताया। उन्होंने लिखा, “मुजफ्फरनगर पुलिस ने जनता के भाईचारे और विपक्ष के दबाव में आकर होटलों, फल विक्रेताओं और ठेले वालों को अपना नाम स्वैच्छिक रूप से प्रदर्शित करने के प्रशासनिक आदेश को अनिवार्य करके आखिरकार अपनी पीठ थपथपाई है, लेकिन अमन-चैन पसंद करने वाली जनता इसे स्वीकार नहीं करने वाली है। ऐसे आदेशों को पूरी तरह खारिज किया जाना चाहिए। माननीय न्यायालय को सकारात्मक हस्तक्षेप कर सरकार के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशासन भविष्य में ऐसा कोई विभाजनकारी काम न करे। यह प्रेम और सौहार्द से पैदा हुई एकता की जीत है।”
इससे पहले सपा नेता ने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश को “सामाजिक अपराध” बताया था। “माननीय अदालत को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।” स्वप्रेरणा से उन्होंने कहा, “प्रशासन को इस तरह के कदम के पीछे सरकार की मंशा का संज्ञान लेना चाहिए और उचित दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। इस तरह के आदेश सामाजिक अपराध हैं, जिनका उद्देश्य सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब करना है।”
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी यूपी सरकार से जनहित में इस आदेश को वापस लेने को कहा। चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने कहा, “पश्चिमी यूपी और मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों, ठेले दुकानदारों आदि को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का सरकारी आदेश एक गलत परंपरा है, जो सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब कर सकती है। सरकार को जनहित में इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।”
भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस मुद्दे का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह के जल्दबाजी भरे आदेश छुआछूत की बीमारी को जन्म दे सकते हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, “कुछ अति उत्साही अधिकारियों के जल्दबाजी भरे आदेश छुआछूत की बीमारी को जन्म दे सकते हैं। आस्था का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन छुआछूत को संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।” साथ ही उन्होंने एक कविता भी लिखी, जिसका अनुवाद इस प्रकार है, “जन्म या जाति के बारे में मत पूछो, जाति और वंश क्या है? सभी भगवान के बेटे हैं, कोई भी नीच जाति का नहीं है।”