कोलकाता, बंगाली फिल्म उद्योग से जुड़ी सौ से अधिक महिला कलाकारों ने मंगलवार को राज्य संचालित टेली अकादमी को पत्र लिखकर आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद उपजे आक्रोश के बीच सुरक्षित कार्यस्थल की मांग की।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में निर्देशक अपर्णा सेन, अभिनेत्री रूपा गांगुली, स्वास्तिका मुखर्जी, पाओली दाम, सोहिनी सरकार, सोहिनी सेनगुप्ता, बिदिप्ता चक्रवर्ती, चैताली दासगुप्ता, अनुराधा रे और शकुंतला बरुआ तथा पटकथा लेखिका मेघातिथि बनर्जी शामिल हैं। यह पत्र पूर्वी भारत मोशन पिक्चर एसोसिएशन और पश्चिम बंगाल मोशन पिक्चर आर्टिस्ट फोरम को भी भेजा गया था।
पत्र में कहा गया है, “पूरे देश के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के लोग भी हाल ही में एक महिला डॉक्टर की उसके कार्यस्थल – आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, कोलकाता में हुई यातना और हत्या से अंदर तक स्तब्ध हैं। इस जघन्य अपराध के मद्देनजर, यह देखकर खुशी हो रही है कि मनोरंजन उद्योग – थिएटर कलाकार और तकनीशियन, संगीतकार, मेकअप कलाकार, नर्तक और कोरियोग्राफर, पटकथा लेखक और तकनीशियन उग्र विरोध प्रदर्शन में सड़कों पर उतर आए हैं।”
इसमें कहा गया है, “हालांकि, यह वास्तव में चौंकाने वाली बात है कि हममें से कुछ लोगों ने अभी भी अपने कार्यस्थलों पर यौन दुर्व्यवहार/उत्पीड़न/हिंसा की बार-बार होने वाली घटनाओं के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है। बंगाली फिल्म, वेब प्लेटफॉर्म और टेलीविजन उद्योग में काम करने वाली महिलाओं के रूप में, हम हर दिन विभिन्न प्रकार के यौन दुर्व्यवहार का सामना करती हैं; साथ ही नियमित रूप से महिलाओं, बच्चों और हाशिए पर रहने वाले लोगों के साथ होने वाले बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार के बारे में सुनती हैं।”
स्क्रीन वर्कर्स के लिए महिला फोरम द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न को रोकने, निषिद्ध करने और निवारण के लिए कोई कार्यात्मक सहायता प्रणाली मौजूद नहीं है।
इसमें कहा गया है, “इस उद्योग में कार्यरत महिलाओं, बच्चों और अन्य अत्यंत कमजोर लोगों के यौन शोषण की बार-बार होने वाली घटनाओं के बारे में कोई खुली बातचीत नहीं होती। यह एक खुला रहस्य और एक दबी हुई वास्तविकता है।”
पत्र में कहा गया है कि व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य, अनुकूल कार्य स्थितियों तथा श्रम कानूनों द्वारा सभी श्रमिकों को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा के बारे में सूचना, पहुंच और वकालत में भी भारी अंतर है।
पत्र में कहा गया है, “उपर्युक्त के आलोक में, हम यह पत्र यह जानने के लिए लिख रहे हैं कि क्या टेलीविजन, वेब प्लेटफॉर्म और फिल्म उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के लिए यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियमों के अनुसार कोई वैधानिक ढांचा स्थापित किया गया है और काम के सुरक्षित स्थानों का निर्माण किया गया है, क्या सात या अधिक श्रमिकों वाले सभी नियोक्ताओं द्वारा आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया गया है, जो सभी श्रमिकों को जिला स्तर पर एलसीसी के बारे में सूचित करती है।”
पत्र में काम पाने के बदले में यौन लाभ प्राप्त करने के मामलों में सूचना देने के लिए सख्त व्यवस्था बनाने की मांग की गई थी।
इसमें कहा गया है, “हम जानते हैं कि सभी क्षेत्रों में नियोक्ताओं की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने कार्यस्थलों पर श्रमिकों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करें; हम दृढ़ता से कहते हैं कि टेलीविजन, वेब प्लेटफॉर्म और फिल्म उद्योग भी इससे अछूते नहीं होने चाहिए।”
यह आलेख एक स्वचालित समाचार एजेंसी फ़ीड से बिना किसी संशोधन के तैयार किया गया है।